ज्यादा देर फोन चलाना बच्चे नहीं बड़ों के लिए भी खतरनाक, दिन में इससे अधिक नहीं होना चाहिए स्क्रीन टाइम
वयस्कों को काम के अलावा स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय को प्रतिदिन दो घंटे से कम करना चाहिए. इससे अधिक समय जो आप आमतौर पर स्क्रीन पर बिताते हैं, उसे फिजिकल एक्टिविटी में भाग लेने में गुजारना चाहिए.
Image Source: Freepik
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कोरोनाकाल के बाद से दुनियाभर में लोगों का लाइफस्टाइल पूरी तरह से बदल चुका है. इसके सकारात्मक प्रभावों के साथ-साथ ज्यादातर नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिले हैं. इनमें से एक है स्मार्टफोन या लैपटॉप पर ज्यादा समय बिताना. ऑनलाइन क्लासेस व वर्क फ्रॉम होम होने से लोगों में मोबाइल से चिपके रहने की बुरी लत लग चुकी है. अक्सर बच्चों को स्क्रीन से दूर रहने की सलाह दी जाती है. लेकिन वयस्कों (Adults) के लिए कितना स्क्रीन समय स्वस्थ होगा, इसको लेकर ज्यादा जानकारी नहीं हैं. ऐसे में आइए जानते है कि वयस्कों के लिए स्क्रीन टाइम कितना होना चाहिए.
व्यस्कों के लिए स्क्रीन की समय सीमा
एक डाटा के मुताबिक कोरोना से पहले व्यस्कों का स्क्रीन टाइम हर दिन 11 घंटे था लेकिन महामारी के बाद से यह 19 घंटे तक बढ़ गया. कई अध्ययनों में पाया गया है कि प्रतिदिन छह घंटे या उससे अधिक समय स्क्रीन देखने में बिताने वालों में डिप्रेशन का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऑनलाइन क्लासेस व वर्क फ्रॉम होम होने से लोग अपना अधिकतर समय मोबाइस या लैपटॉप में बिता रहे हैं. इससे न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है बल्कि लोग मानसिक सतौर पर भी ग्रस्त हो रहे हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि वयस्कों को काम के अलावा स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय को प्रतिदिन दो घंटे से कम करना चाहिए. इससे अधिक समय जो आप आमतौर पर स्क्रीन पर बिताते हैं, उसे शारीरिक गतिविधि में भाग लेने में व्यतीत करना चाहिए. यह तुरंत संभव नहीं हो सकता है, लेकिन धीरे-धीरे इससे निजात पाया जा सकता है.
अधिक स्क्रीन टाइम के नकारात्मक प्रभाव (Negative Effects of Too Much Screen Time)
1. अनिद्रा की समस्या
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हमारे शरीर में सोने और उठने की एक नॉर्मल क्लॉक होती है. लेकिन स्क्रीन पर लगातार लगे रहने के कारण, वह क्लॉक बिगड़ सकती है. ऐसा देखा गया है कि जो लोग स्क्रीन पर अपना ज्यादा समय बिताते हैं उन्हें नींद न आने की समस्या होने लगती है इससे एंजायटी और डिप्रेशन जैसी बीमारी हो सकती है.
2. आंखों का तनाव
स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताने से आपकी आंखों में थकान या परेशानी के साथ-साथ विजन भी कम हो सकता है. स्क्रीन पर चमक और डिस्प्ले की चमक आपकी आंखों पर और दबाव डाल सकती है. जिससे यह तनाव सिरदर्द का कारण बन सकता है.
3. शारीरिक गतिविधि के स्तर में कमी
स्क्रीन पर बिताया गया समय वह समय है जो पिछली पीढ़ियों के लोग शारीरिक रूप से सक्रिय होने में बिताते थे - सैर करना, बगीचे में काम करना, खेल खेलना आदि. एक गतिहीन जीवनशैली सीधे तौर पर बढ़ते जोखिम से जुड़ी होती है मोटापा और अन्य शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं.
स्क्रीन टाइम कम करने के टिप्स (Tips to reduce Screen time)
- नोटिफिकेशन बंद करें
ज्यादातर लोग नोटिफिकेशन की वजह से बार-बार अपना फोन चेक करते रहते हैं. ऐसे में अगर आप अपना स्क्रीन टाइम कम करना चाहते हैं, तो अपना काम खत्म होने के बाद नोटिफिकेशन बंद कर दें, ताकि बार-बार नोटिफिकेशन चेक करने के चक्कर में आप मोबाइल इस्तेमाल करने न लग जाएं.
- एक टाइमर सेट करें
जब आप मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल कर रहे हों तो टाइमर का उपयोग करें. आजकल सभी स्मार्टफोन्स में स्क्रीन टाइम को सेट करने की सुविधा मिलती है. अगर आपका स्क्रीन टाइम 10 घंटे है तो शुरूआत में इसे 8 घंटे पर सेट करें फिर धीरे-धीरे इसे और कम करने का प्रयास करें. जब टाइमर बंद हो जाए, तो डिवाइस बंद कर दें और अपने शरीर को हिलाने-डुलाने का प्रयास करें- टहलने जाएं, कमरा साफ करें या घर पर ही कसरत करने का प्रयास करें.
- स्क्रॉलिंग करने की आदत बदलें
इन दिनों लोगों के अंदर सोशल मीडिया को लेकर एक अलग क्रेज देखने को मिल रहा है. ऑफिस वर्क के अलावा लोग अपने मोबाइल पर अपना ज्यादातर सोशल मीडिया साइट्स देखने में गुजारते हैं. ऐसे में अगर आप अपना स्क्रीन टाइम कम करना चाहते हैं, तो सोशल मीडिया साइट्स स्क्रॉलिंग करने की आदत को छोड़ दें.
11:36 AM IST